ग़ज़ल की मापनी कैसे गिनें और इसके क्या नियम हैं?: Scale of a Ghazal and what are its rules?
ग़ज़ल की मापनी (वज़्न) गिनने और इसके नियम समझना ग़ज़ल की रचना का मूल आधार है। ग़ज़ल में प्रत्येक शेर (दोहरी पंक्ति) की दोनों मिसरे समान मापनी (मात्राओं) के होते हैं और पूरे ग़ज़ल में एक जैसे वज़्न और तुकबंदी (काफिया और रदीफ) की व्यवस्था होती है।
ग़ज़ल की मापनी (वज़्न) गिनने का तरीका
ग़ज़ल में "मात्रा" या "वजन" वह माप है जो शब्दों में छोटे और बड़े अक्षरों (लघु और दीर्घ मात्राओं) के आधार पर गिनी जाती है।
हर अक्षर या स्वर की मात्रा को लघु (1 मात्रा) या दीर्घ (2 मात्राएँ) माना जाता है।
मिसरे की मापनी तब गिनी जाती है जब दोनों मिसरों की मात्राओं का क्रम समान हो।
मात्रा गिनने की प्रक्रिया को 'तकती' या 'तकतीह' कहते हैं, जिसमें प्रत्येक शब्द की मात्राएँ गिनी जाती हैं और उसे एक निर्धारित क्रम (बहर) में व्यवस्थित किया जाता है।
अलिफ़ वस्ल (संयुक्त उच्चारण) जैसे नियमों के अनुसार, कुछ मात्राएँ गिराई भी जा सकती हैं जिससे लय में सुधार होता है।
ग़ज़ल के मुख्य नियम
ग़ज़ल के प्रत्येक शेर की दोनों मिसरे बराबर मापनी के होने चाहिए।
ग़ज़ल में पहला शेर (मतला) अहम होता है जिसमें काफिया (तुक) और रदीफ (राइम) निर्धारित होते हैं।
काफिया वह तुकांत है जो रदीफ से पहले आता है, और रदीफ वही समान शब्द या पद होता है जो हर शेर की अंतिम पंक्ति में दोहराया जाता है।
शेर में वज़्न निरंतर समान रहना चाहिए ताकि लय बनी रहे।
मात्राओं की गिरावट और बढ़ोतरी के कुछ नियम होते हैं, जैसे कुछ दीर्घ मात्राओं को लघु किया जा सकता है, कुछ स्वर और व्यंजन के योग से मात्राएँ घटाई जा सकती हैं।
सामान्यतया 32 प्रमुख बहरे होते हैं जो ग़ज़ल की लय-ताल निर्धारित करते हैं।
उदाहरण और अभ्यास
किसी ग़ज़ल की मापनी गिनने के लिए आप शेर के प्रत्येक शब्द की मात्राएँ गिनें, दीर्घ और लघु को चिन्हित करें, फिर उसकी लय और ताल को समझें।
अभ्यास से आप जल्दी ही ग़ज़ल की मापनी निकालना सीख सकते हैं, जिससे छन्दबद्ध कविता लिखना आसान हो जाता है।
इस तरह ग़जल की मापनी गिनने की विधि मात्राओं की सही गणना, अक्षरों के उच्चारण का ध्यान रखना, और काफिया-रदीफ की समझ से संयोजित होती है। ये नियम ग़ज़ल को उसकी परंपरागत संरचना में बांधे रखते हैं और उसकी लयबद्धता सुनिश्चित करते हैं।
.jpg)