ग़ज़ल की प्रमुख 32 बहर , ग़ज़ल की मापनी , ग़ज़ल के नियम, ग़ज़ल की बहर एवम् छंदों में संबंध :
ग़ज़ल क्या है?
ग़ज़ल शेरों का एक ऐसा समूह है जिसके प्रत्येक शेर समान रदीफ (समांत), समान का़फिया (तुकांत) और समान वज्न (मात्राक्रम) मतलब बहर (स्केल) में होते हैं । गैरमुरद्दफ ग़ज़ल में रदीफ नहीं होता किन्तु बहर होना अनिवार्य है ।
गजल लिखने के लिए बहर का क्या महत्व है?
गज़ल लिखने के लिये बहर को जानना जरूरी है, क्यों ? इस बात को गज़ल के महत्व को ही समझ कर समझा जा सकत है । गज़ल की महत्ता का अनुमान इसीबात से लगाया जा सकता है कि साहित्य एवं संगीत में रूचि लेने वाले ऐसे कोई व्यक्ति नहीं होगा जो, गज़ल से परिचित न हो । कवि सम्मेलनों से लेकर मुसयारा तक, मंचीय गायन से लेकर फिल्मी गानों तक, उपशासत्रीय गायन से शास्त्रीय संगीत तक, कब्बाली से लेकर हिन्दुस्तानी संगीत तक गज़ल व्याप्त हैं । जिस प्रकार बाथरूम सिंगर होते हैं, उसी प्रकार टाइम-पास शौकिया कवि होते हैं, जो कुछ पंक्ति लिखने का प्रयास करते हैं, वो गज़ल, शेर, शायरी के प्रारूप में ही कुछ पंक्ति लिखने का प्रयास करते हैं । आज कल सोशल मिडिया के जमाने में, ऐसे नवशेखियों कवि की बाढ़-सी दिखती है । यह स्थिति सुखद भी है क्योंकि इन्ही नवशेखियों में से कुछ अच्छे कवि के रूप में भी उभर रहे हैं । यह सुखद स्थिति इसलिये भी हैं कि अब कलमकार सोशलमिडिया की सहायता से काव्य शिल्पों, काव्य-व्याकरण से परिचित होने का प्रयास कर रहे हैं ।
बहर एक उर्दू शब्द होता है जिसका प्रयोग ग़ज़ल लेखन में विशेष तौर पर किया जाता है। बहर एक ऐसा माध्यम है जिसमें निश्चित मात्राओं से कड़ियां बनी रहती है ताकि एक ही लय और भार में उसके समान पंक्तियां लिखी जा सके। ऐसा इसलिए भी किया जाता है ताकि धुन भंग ना हो और शब्द मात्राओं के अनुसार फिक्स सेट हो जाए।
गजल में बहर का एक अहम योगदान होता है जिसके बिना गजल लिखना संभव नहीं होता। बहर ही एक ऐसा माध्यम है जिससे एक गजलकार बेहतरीन गजल का निर्माण करता है। बहर गजल का आधार होती है। उर्दू में गजल लिखने के लिए गजल की 32 मूख्य बहर बताई गई है जिसमें अलग-अलग मात्रा भार होता है और जिसके आधार पर ज्यादातर गजलकार गजल लिखते हैं।
हम आपको गजल के नाम तो नहीं बताएंगे। क्योंकि बहर के नाम से आपको समझने में कठिनाई होगी। हम आपको जो मूख्य 32 मात्रा भार है उसे ही बता देते हैं ताकि आप उसके आधार पर गजल लिख पाएंगे। उससे पहले यदि आपने अभी तक हमारा लेख मात्रा कैसे गिनेें और मात्रा गणना कैसे करें नहीं पढ़ा है, तो इसे जरूर पढ़ें।
ग़ज़ल की बहर एवम् छंदों में संबंध :
ग़ज़ल उर्दू साहित्य की विशेष विधा है और छंद हिन्दी साहित्य की। पर फिर ये देखा गया है की ग़ज़ल की बहर(मापनी) कुछ छंदों की मापनी से ही ली गई है जैसे कि विधाता छंद की मापनी 1222 1222 1222 1222) होती है यहीं ग़ज़ल की एक बहर भी है.. अतः अगर आपको छंदों का ज्ञान है तो आप सभी ग़ज़ल बहुत आसानी से सीख और लिख सकते है।
गजल के लिए मूख्य 32 बहर के मात्रा भार निम्नलिखत है-
1. 1222 1222 1222 1222
2. 2122 1212 22
3. 11212 11212 11212 11212
4. 1212 1122 1212 22
5. 221 2122 221 2122
6. 221 2121 1221 212
7. 122 122 122
8. 122 122 122 122
9. 122 122 122 12
10. 212 212 212
11. 212 212 212 2
12. 212 212 212 212
13. 1212 212 122 1212 212 122
14. 2212 2212
15. 2212 1212
16. 2212 2212 2212
17. 2212 2212 2212 2212
18. 2122 2122
19. 2122 1122 22
20. 2122 2122 212
21. 2122 2122 2122
22. 2122 2122 2122 212
23. 2122 1122 1122 22
24. 1121 2122 1121 2122
25. 2122 2122 2122 2122
26. 1222 1222 122
27. 1222 1222 1222
28. 221 1221 1221 122
29. 221 1222 221 1222
30. 212 1222 212 1222
31. 212 1212 1212 1212
32. 1212 1212 1212 1212
गजल की मूख्य 32 बहर के मात्रा भार जिनके आधार पर आप अपनी गजल लिख सकते हैं।
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