मात्रिक छंद कौन-कौन से हैं,मात्रिक छंद किसे कहते हैं,मात्रिक छंद के उदाहरण,मात्रिक छंद के प्रकार,मात्रिक छंद क्या है,Matrik Chhand Kise Kahte Hain
मात्रिक छंद क्या है?
मात्रिक छंद हिंदी काव्य में एक महत्वपूर्ण अलंकार है। इसे समझने के लिए, हमें सबसे पहले 'छंद' शब्द को समझना होगा।
छंद क्या है? छंद काव्य में शब्दों को एक विशेष क्रम में रखने का तरीका है। यह शब्दों की संख्या, मात्रा और लय को नियंत्रित करता है। छंद काव्य को संगीत की तरह लयबद्ध बनाता है और इसे सुनने में आनंददायक बनाता है।
मात्रिक छंद क्या है? मात्रिक छंद, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, मात्राओं पर आधारित होता है। इसमें शब्दों की मात्राओं को गिनकर छंद बनाया जाता है। मात्राओं के आधार पर ही शब्दों को एक विशेष क्रम में रखा जाता है।
मात्रा क्या होती है? हर शब्द में हल्की और भारी मात्राएँ होती हैं। जैसे, 'राम' शब्द में 'रा' हल्की मात्रा और 'म' भारी मात्रा है। मात्रिक छंद में इन मात्राओं को गिनकर छंद की रचना की जाती है।
मात्रिक छंद के प्रकार:
मात्रिक छंद हिंदी काव्य में एक महत्वपूर्ण अलंकार है। जैसा कि नाम से स्पष्ट है, ये छंद शब्दों की मात्राओं पर आधारित होते हैं। मात्राओं की व्यवस्था के आधार पर मात्रिक छंदों को कई प्रकारों में बांटा जा सकता है।
मुख्यतः मात्रिक छंद दो प्रकार के होते हैं:
1. सम मात्रिक छंद
सम मात्रिक छंद वे छंद होते हैं जिनमें प्रत्येक चरण (पंक्ति) में मात्राओं की संख्या बराबर होती है। इन छंदों में एक निश्चित लय और ताल होती है जो उन्हें संगीत की तरह सुरीला बनाती है।
सम मात्रिक छंद के उदाहरण:
- चौपाई: यह सबसे प्रचलित सम मात्रिक छंद है। इसमें प्रत्येक चरण में 16 मात्राएँ होती हैं और दो-दो चरण आपस में तुकबद्ध होते हैं।
- दोहा: यह भी एक सम मात्रिक छंद है। इसमें पहले और तीसरे चरण में 13-13 और दूसरे और चौथे चरण में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
- सोरठा: दोहे का उल्टा छंद है। इसमें पहले और तीसरे चरण में 11-11 और दूसरे और चौथे चरण में 13-13 मात्राएँ होती हैं।
- कुंडलिया: यह छंद लोकगीतों में अधिक प्रचलित है। इसमें प्रत्येक चरण में 13 मात्राएँ होती हैं।
सम मात्रिक छंद की विशेषताएं:
- नियमितता: इन छंदों में मात्राओं की संख्या समान होने के कारण एक निश्चित नियमितता होती है।
- लयबद्धता: इन छंदों में लय और ताल होती है जो उन्हें संगीत की तरह सुरीला बनाती है।
- सुंदरता: इन छंदों का प्रयोग काव्य को सुंदर और आकर्षक बनाने के लिए किया जाता है।
- यादगार: इन छंदों के कारण काव्य को याद रखना आसान हो जाता है।
मात्रिक छंद का महत्व:
- काव्य को संगीतबद्ध बनाता है: मात्रिक छंद काव्य को संगीत की तरह लयबद्ध बनाता है।
- काव्य को सुंदर बनाता है: मात्रिक छंद काव्य को सुंदर और आकर्षक बनाता है।
- काव्य को याद रखने में आसान बनाता है: मात्रिक छंद के कारण काव्य को याद रखना आसान हो जाता है।
2. विषम मात्रिक छंद
विषम मात्रिक छंद वे छंद होते हैं जिनमें प्रत्येक चरण (पंक्ति) में मात्राओं की संख्या समान नहीं होती है। इन छंदों में मात्राओं का वितरण अनियमित होता है, जिससे उन्हें एक अनूठी लय और ताल मिलती है।
विषम मात्रिक छंद के उदाहरण:
- रोला: यह सबसे प्रचलित विषम मात्रिक छंद है। इसमें प्रत्येक चरण में मात्राओं की संख्या भिन्न-भिन्न होती है।
- बरवै: इस छंद में विषम चरणों में 12 और सम चरणों में 7 मात्राएँ होती हैं।
- छप्पय: यह छंद थोड़ा लंबा होता है और इसमें मात्राओं का वितरण अधिक जटिल होता है।
विषम मात्रिक छंद की विशेषताएं:
- अनियमितता: इन छंदों में मात्राओं की संख्या समान नहीं होने के कारण एक निश्चित अनियमितता होती है।
- लयबद्धता: इन छंदों में भी एक लय और ताल होती है, हालांकि यह सम मात्रिक छंदों की तुलना में थोड़ी अधिक जटिल होती है।
- लचीलापन: विषम मात्रिक छंदों में कवि को अधिक स्वतंत्रता होती है, वह अपनी रचना के अनुसार मात्राओं का वितरण कर सकता है।
- अभिव्यक्ति: विषम मात्रिक छंद भावों को अधिक गहराई से व्यक्त करने में सक्षम होते हैं।
विषम मात्रिक छंद का महत्व:
- काव्य को विविधता प्रदान करते हैं: विषम मात्रिक छंद काव्य को एक विविधता प्रदान करते हैं।
- भावों को गहराई से व्यक्त करते हैं: विषम मात्रिक छंद भावों को अधिक गहराई से व्यक्त करने में सक्षम होते हैं।
- काव्य को आधुनिक रूप देते हैं: विषम मात्रिक छंद काव्य को एक आधुनिक रूप देते हैं।
उदाहरण के साथ समझें:
- रोला:
क्यों उड़ता फिरता है, मेरा मन?
- बरवै:
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