$type=carousel$sn=0$cols=4$va=0$count=12

शादी की वजह.../ मुंशी प्रेमचंद

शादी की वजह यह सवाल टेढ़ा है कि लोग शादी क्यो करते है? औरत और मर्द को प्रकृत्या एक-दूसरे की जरूरत होती है लेकिन मौजूदा हालत मे आ...


शादी की वजह


यह सवाल टेढ़ा है कि लोग शादी क्यो करते है? औरत और मर्द को प्रकृत्या एक-दूसरे की जरूरत होती है लेकिन मौजूदा हालत मे आम तौर पर शादी की यह सच्ची वजह नही होती बल्कि शादी सभ्य जीवन की एक रस्म-सी हो गई है। बहरलहाल, मैने अक्सर शादीशुदा लोगो से इस बारे मे पूछा तो लोगो ने इतनी तरह के जवाब दिए कि मै दंग रह गया। उन जवाबो को पाठको के मनोरंजन के लिए नीचे लिखा जाता है—
एक साहब का तो बयान है कि मेरी शादी बिल्कुल कमसिनी मे हुई और उसकी जिम्मेदारी पूरी तरह मेरे मां-बाप पर है। दूसरे साहब को अपनी खूबसूरती पर बड़ा नाज है। उनका ख्याल है कि उनकी शादी उनके सुन्दर रूप की बदौलत हुई। तीसरे साहब फरमाते है कि मेरे पड़ोस मे एक मुंशी साहब रहते थे जिनके एक ही लड़की थी। मैने सहानूभूतिवश खुद ही बातचीत करके शादी कर ली। एक साहब को अपने उत्तराधिकारी के रूप मे एक लड़के के जरूरत थी। चुनांचे आपने इसी धुन मे शादी कर ली। मगर बदकिस्मती से अब तक उनकी सात लड़कियां हो चुकी है और लड़के का कही पता नही। आप कहते है कि मेरा ख्यालहै कि यह शरारत मेरी बीवी की है जो मुझे इस तरह कुढाना चाहती है। एक साहब पड़े पैसे वाले है और उनको अपनी दौलत खर्च करने का कोई तरीका ही मालूम न था इसलिए उन्होने अपनी शादी कर ली। एक और साहब कहते है कि मेरे आत्मीय और स्वजन हर वक्त मुझे घेरे रहा करते थे इसलिए मैने शादी कर ली। और इसका नतीजा यह हुआ कि अब मुझे शान्ति है। अब मेरे यहां कोई नही आता। एक साहब तमाम उम्र दूसरों की शादी-ब्याह पर व्यवहार और भेंट देते-देते परेशान हो गए तो आपने उनकी वापसी की गरज से आखिरकार खुद अपनी शादी कर ली।
और साहबो से जो मैनेदर्याफ्त किया तो उन्होने निम्नलिखित कारण बतलाये। यह जवाब उन्ही के शब्दों मे नम्बरवार नीचे दर्ज किए जाते है—

१—मेरे ससुर एक दौलत मन्द आदमी थे और उनकी यह इकलौती बेटी थी इसलिए मेरे पिता ने शादी की।
२—मेरे बाप-दादा सभी शादी करते चले आए है इसलिए मुझे भी शादी करनी पड़ी।
३—मैं हमेशा से खामोश और कम बोलने वाला रहा हूं, इनकार न कर सका।
४—मेरे ससुर ने शुरू मे अपने धन-दौलत का बहुत प्रदर्शन किया इसलिए मेरे मां-बाप ने फौरन मेरी शादी मंजूर कर ली।
५—नौकर अच्छे नही मिलते थे ओर अगर मिलते भी थे तो ठहरते नही थे। खास तौर पर खाना पकानेवाला अच्छा नही मिलता। शादी के बाद इस मुसीबत से छुटकारा मिल गय।
६—मै अपना जीवन-बीमा कराना चाहता था और खानापूरी के वास्ते विधवा का नाम लिखना जरूरी था।
७—मेरी शादी जिद मे हुई। मेरे ससुर शादी के लिए रजामन्द न होते थे मगर मेरे पिता को जिद हो गई। इसलिए मेरी शादी हुई। आखिरकार मेरे ससुर को मेरी शादी करनी ही पड़ी।
८—मेरे ससुरालवाले बड़े ऊंचे खानदान के है इसलिए मेरे माता-पिता ने कोशिश करके मेरी शादी की।
९—मेरी शिक्षा की कोई उचित व्यवस्था न थी इसलिए मुझे शादी करनी पड़ी।
१०—मेरे और मेरी बीवी के जनम के पहले ही हम दोनो के मां-बाप शादी की बातचीत पक्की हो गई थी।
११—लोगो के आग्रह से पिता ने शादी कर दी।
१२—नस्ल और खानदान चलाने के लिए शादी की।
१३—मेरी मां को देहान्त हो गया था और कोई घर को देखनेवाला न था इसलिए मजबूरन शादी करनी पड़ी।
१४—मेरी बहने अकेली थी, इस वास्ते शादी कर ली।
१५—मै अकेला था, दफ्तर जाते वक्त मकान मे ताला लगाना पड़ता था इसलिए शादी कर ली।
१६—मेरी मां ने कसम दिलाई थी इसलिए शादी की।
१७—मेरी पहली बीवी की औलाद को परवरिश की जरूरत थी, इसलिए शादी की।
१८—मेरी मां का ख्याल था कि वह जल्द मरने वाली है और मेरी शादी अपने ही सामने कर देना चाहती थी, इसलिए मेरी शादी हो गई। लेकिन शादीको दस साल हो रहे है भगवान की दया से मां के आशीष की छाया अभी तक कायम है।
१९—तलाक देने को जी चाहता था इसलिए शादी की।
२०—मै मरीज रहता हूं और कोई तीमारदार नही है इसलिए मैने शादी कर ली।
२१—केवल संयाग स मेरा विवाह हो गया।
२२—जिस साल मेरी शादी हुई उस साल बहुत बड़ी सहालग थी। सबकी शादी होती थी, मेरी भी हो गई।
२३—बिला शादी के कोई अपना हाल पूछने वाला न था।
२४—मैने शादी नही की है, एक आफत मोल ले ली है।
२५—पैसे वाले चचा की अवज्ञा न कर सका।
२६—मै बुडढा होने लगा था, अगर अब न करता तो कब करता।
२७—लोक हित के ख्याल से शादी की।
२८—पड़ोसी बुरा समझते थे इसलिए निकाह कर लिया।
२९—डाक्टरो ने शादी केलिए मजबूर किया।
३०—मेरी कविताओं को कोई दाद न देता था।
३१—मेरी दांत गिरने लगे थे और बाल सफेद हो गए थे इसलिए शादी कर ली।
३२—फौज मे शादीशुदा लोगों को तनख्वाह ज्यादा मिलतीथी इसलिए मैने भी शादी कर ली।
३३—कोई मेरा गुस्सा बर्दाश्त न करता था इसलिए मैने शादी कर ली।
३४—बीवी से ज्यादा कोई अपना समर्थक नही होता इसलिए मैने शादी कर ली।
३५—मै खुद हैरान हूं कि शादी क्यों की।
३६—शादी भाग्य मे लिखीथी इसलिए कर ली।
इसी तरह जितने मुंह उतनी बातें सुनने मे आयी।
—‘जमाना’ मार्च, १९२७
 लेखक : मुंशी प्रेमचन्द

$type=list$au=0$va=0$count=4

$type=grid$count=5$meta=0$snip=0$rm=0

नाम

अज्ञेय,14,अनाथ लड़की,1,अनुपमा का प्रेम,1,अनुभव,1,अनुराधा,1,अनुरोध,1,अपना गान,1,अपनी करनी,1,अभागी का स्वर्ग,1,अमृत,1,अमृता प्रीतम,8,अलग्योझा,1,अविनाश ब्यौहार,4,अशआर,1,अश्वघोष,6,आख़िरी तोहफ़ा,1,आखिरी मंजिल,1,आत्म-संगीत,1,आर्यन मिश्र,2,इज्ज़त का ख़ून,1,उद्धार,1,उपन्यास,48,कफ़न,1,कबीरदास,2,कबीरदास जी के दोहे,3,कर्मों का फल,1,कवच,1,कविता,60,कविता कैसे लिखते है,1,कविता लिखने के नियम,1,कहानी,130,क़ातिल,1,कुंडलिया छंद,6,क्योंकर मुझे भुलाओगे,1,क्रान्ति-पथे,1,ग़ज़ल,108,ग़ज़ल की 32 बहर,3,गजलें,1,ग़रीब की हाय,1,गिरधर कविराय,5,गिरधर की कुंडलिया,4,गिरधर की कुंडलिया छंद,1,गीत,9,गीतिका,1,गुस्ताख हिन्दुस्तानी,8,गोपालदास "नीरज",14,गोपासदास "नीरज",1,गोस्वामी तुलसीदास,1,गोस्वामी तुलसीदास जी,1,गोस्वामी तुलसीदास जी के दोहे,2,घमण्ड का पुतला,1,घर जमाई,1,घासवाली,1,चंदबरदाई,3,छंद,25,छंद के नियम,1,छंद क्या है,1,छंदमुक्त कविता कैसे लिखें,1,जयशंकर प्रसाद,4,जानभी चौधुरी,2,जीतेन्द्र मीना 'गुरदह',2,जॉन एलिया,16,जौन एलिया,1,ज्वालामुखी,1,ठाकुर का कुआँ,1,डॉ. शिवम् तिवारी,1,डॉ.सिराज,1,तुम और मैं,1,तुलसीदास जी के दोहे,1,तोमर छंद,1,तोमर छंद के नियम,1,तोमर छंद कैसे लिखते है,1,त्रिया-चरित्र,1,दण्ड,1,दिल की रानी,1,दिलीप वर्मा'मीर',1,दीपावली का एक दीप,1,दुर्गा का मन्दिर,1,दुष्यंत कुमार,12,दूसरी शादी,1,देवधर की स्मृतियाँ,1,देवी- एक लघु कथा,1,दैनिक साहित्य,4,दो बैलों की कथा,1,दो सखियाँ,1,दोहा,12,दोहा छंद,6,दोहा छन्द,1,दोहा छन्द की परिभाषा,1,दोहा छन्द की पहचान?,1,नज़्म,7,नमक का दारोगा,1,नवगीत,1,नहीं तेरे चरणों में,1,नाग-पूजा,1,निदा फ़ाज़ली,26,निधि छंद के नियम,1,निधि छंद कैसे लिखते है,1,निमन्त्रण,1,निर्मला,21,निर्वासन,1,नैराश्य लीला,1,पंच परमेश्वर,1,पराजय-गान,1,परिणीता,1,पर्वत यात्रा,1,पहले भी मैं इसी राह से जा कर फिर,1,पुस्तक लोकार्पण,2,पूस की रात,1,प्रतापचन्द और कमलाचरण,1,प्रतीक मिश्रा "निरन्तर",1,प्रस्थान,1,प्रातः कुमुदिनी,1,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,15,बड़े घर की बेटी,1,बत्ती और शिखा,1,बन्द दरवाजा,1,बलिदान,1,बशीर बद्र,1,बहर क्या है?,1,बालकों का चोर,1,बाल्य-स्मृति,1,बूढ़ी काकी,1,भग्नदूत,4,मंझली दीदी,1,मंत्र,1,मनोरम छंद,1,मनोरम छंद कैसे लिखते है?मनोरम छंद क्वे नियम,1,मनोरमगा छंद के नियम,1,मनोरमगा छंद कैसे लिखते है?,1,मन्दिर,1,महातीर्थ,1,महादेवी वर्मा,5,मात्रा गणना कैसे करते है,1,मात्रिक अर्द्धसम छन्द,1,मात्रिक छंद के प्रकार,1,मात्रिक छंद क्या है,1,मिर्ज़ा ग़ालिब,1,मिलाप,1,मिस पद्मा,1,मीनू पंत त्रिपाठी,2,मुंशी प्रेमचंद,126,मुक्तक के नियम?,1,मुक्तक कैसे लिखते है?,1,मुक्तक क्या है?,1,मुहम्मद आसिफ अली,1,मैकू,1,मोटर के छींटे,1,यह मेरी मातृभूमि है,1,रसखान,2,रहस्य,1,राज किशोर मिश्र,1,राजहठ,1,राधिका छंद के नियम,1,राधिका छंद कैसे लिखते है,1,राम जी तिवारी"राम",1,राहत इंदौरी,21,लैला,1,वासना की कडियॉँ,1,विजय,1,विलासी,1,विष्णुपद छंद,1,विष्णुपद छंद कैसे लिखते है?,1,वेदी तेरी पर माँ,1,वैधविक,3,शंखनाद,1,शरतचंद्र चट्टोपाध्याय,32,शराब की दुकान,1,शायरी,2,शास्त्र छंद कैसे लिखते है,1,शास्त्र छंद.शास्त्र छंद के नियम,1,श्रीकान्त,20,श्रृंगार छंद के नियम,1,श्रृंगार छंद कैसे लिखते है?,1,संजय चतुर्वेदी,6,संत कबीरदास,1,संस्मरण,1,सच्चाई का उपहार,1,सती,1,सनातन,1,समर यात्रा,1,सम्भाव्य,1,सरिता कुमारी ‘क़लम’,1,सवैया छंद,2,सागर त्रिपाठी,1,सारी दुनिया के लिए,1,सार्द्धसरस छंद के नियम,1,सार्द्धसरस छंद कैसे लिखते है?,1,साहित्य अकादमी,4,साहित्य ज्ञान,22,साहित्यिक खबरें,5,सुभद्रा कुमारी चौहान,6,सुलक्षण छंद,1,सुलक्षण छंद के नियम,1,सुलक्षण छंद कैसे लिखते है?,1,सूर्यकांत त्रिपाठी निराला,4,सैलानी बन्दर,1,सोहाग का शव,1,सौत,1,स्वर्ग की देवी,1,हम क्या शीश नवाएँ,1,हम लड़कियां है,1,हरिचरण,1,हस्तीमल "हस्ती",1,हस्तीमल हस्ती के दोहे,1,होली की छुट्टी,1,होशियार सिंह ‘शंबर’,1,होशियार सिंह ‘शंबर’ के दोहे,1,Ghazal Ki Matra Aur Bahar,1,Hindi Me Kavita Kaise Likhe,1,How to Write Hindi Poem,1,Kavita Likhna Seekhe,1,manoram chhand,1,Radhika Chhand Kaise Likhte Hai,1,Vishnupad Chhand Kaise Likhate Hai,1,
ltr
item
दैनिक साहित्य पत्रिका: शादी की वजह.../ मुंशी प्रेमचंद
शादी की वजह.../ मुंशी प्रेमचंद
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiBk7gHutFXnlhV3L9VxEsKdWAy-2dhDa1j3VzlMETuK2FZaLEXrjkjRoa1xB9e1gaMzrsrBFJcumXBbYlUwuXY8UGpDnbQXbnI9DRwSZqlVk6q70F8yT_ukqlucnSVQKRD_hk9HHlwaZ5I/s1600/1627493128391412-0.png
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiBk7gHutFXnlhV3L9VxEsKdWAy-2dhDa1j3VzlMETuK2FZaLEXrjkjRoa1xB9e1gaMzrsrBFJcumXBbYlUwuXY8UGpDnbQXbnI9DRwSZqlVk6q70F8yT_ukqlucnSVQKRD_hk9HHlwaZ5I/s72-c/1627493128391412-0.png
दैनिक साहित्य पत्रिका
https://www.dainiksahitya.com/2021/07/blog-post_535.html
https://www.dainiksahitya.com/
https://www.dainiksahitya.com/
https://www.dainiksahitya.com/2021/07/blog-post_535.html
true
8531027321664546799
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU Category ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content